મંગલમ્/सर्वधर्म प्रार्थना
वैदिक :
ले जा असत्य से सत्य के प्रति,
ले जा तमस् से ज्योति के प्रति,
मृत्यु से ले जा अमृत के प्रति।
चलें साथ और बोलें साथ, दिल से हिल-मिल जियें साथ,
अच्छे कर्म करें हम साथ, बैठ के साथ भजें हम नाथ।
हो संकल्प समान-समान, हो जन-जन के हृदय समान,
सबके मन में भाव समान, निश्चय सम हो कार्य समान।
ताओ :
सद्व्यवहार करेंगे मुझसे, उनसे सद्व्यवहार करूं।
दुर्व्यवहार करें उनसे भी, मैं तो सद्व्यवहार करूं।
दुर्जन को सज्जन करने का, सदाचार उपचार है।
द्वेष क्रोध को पिघलाने का, सही तरीका प्यार है।
जैन :
क्षमा मैं चाहता सबसे, मैं भी सबको करूं क्षमा।
मैत्री मेरी सभी से हो, किसी से वैर हो नहीं।
बौद्ध :
जीतो अक्रोध से क्रोध, साधुत्व से असाधुता,
कंजूसी दान से जीतो, सत्य से झूठवादीता।
वैर से न कदापि भी, मिटते वैर है कहीं,
मैत्री ही से मिटे वैर, यही धर्म सनातन।
इस्लाम :
दयावान को करूं प्रणाम, कृपावान को करूं प्रणाम,
विश्व सकल का मालिक तू, अन्तिम दिन का चालक तू।
तेरी भक्ति करूं सदा, तव अवलम्बन रहूं सदा।
दिखा हमें तू सीधी राह दिखा हमें वह सीधी राह।
ऐसों की जो सीधी राह, जिन पर तेरी रहम निगाह।
जिन पर करता है तू क्रोध, भ्रमित हुए या है गुमराह।
उनके पथ का लूं नहीं नाम, दयावान को करूं प्रणाम।
सिख :
नाम जपो कीरत करो बाँट के खाओ बन्दे,
नाम जपो कीरत करो बाँट के खाओ बन्दे।
ईसाई :
शांति का वाद्य बना तू मुझे, प्रभु शांति का वाद्य बना तू मुझे।
हो तिरस्कार वहां करूं स्नेह, हो हमला तो क्षमा करूं मैं।
हो जहाँ भेद, अभेद करूं, हो जहाँ भूल, मैं सत्य करूं॥
हो संदेह, वहाँ विश्वास, घोर निराश, वहाँ करूं आस।
हो अंधियार, वहाँ पे प्रकाश, हो जहाँ दुःख, उसे करूं हास।
शांति का वाद्य बना तू मुझे, प्रभु, शांति का वाद्य बना तू मुझे॥